Sunday, October 16, 2011

माना तेरी नजर में के तेरा प्यार हम नहीं
कैसे कहे के तेरे तलबगार हम नहीं
खुद को जलाके खाक कर डाला मिटा दिया
लो अब तुम्हारी राह में दिवार हम नहीं
जिसको संवारा था हमने तमन्नाओं के खून से
गुलशन में उस बहार के हकदार हम नहीं
धोका दिया है खुद को मुहब्बत के नाम से
कैसे कहे के तेरे गुनाहागार हम नहीं .....

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